विश्व व्यापार संगठन (WTO)

विश्व व्यापार संगठन (WTO)
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परिचय

विश्व व्यापार संगठन (WTO) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 1 जनवरी 1995 को वैश्विक व्यापार के नियमों को नियमन करने और सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों का समाधान करने के उद्देश्य से की गई थी। WTO का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है और इसके सदस्य देशों की संख्या 160 से अधिक है।

इतिहास और स्थापना

विश्व व्यापार संगठन की स्थापना उरुग्वे राउंड के तहत हुए समझौतों के परिणामस्वरूप हुई थी, जो 1986 से 1994 तक चले थे। इसकी स्थापना से पहले, अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सामान्य शुल्क और व्यापार समझौते (GATT) द्वारा निदेशित किया जाता था। WTO ने GATT की जगह लेकर व्यापार नीतियों को और अधिक संगठित और कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया।

मुख्य उद्देश्य

  • वैश्विक व्यापार को सुचारू, पूर्वानुमेय और मुक्त बनाना।
  • सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों का न्यायसंगत समाधान करना।
  • व्यापार प्रतिबंधों को न्यूनतम करना और व्यापार बाधाओं को हटाना।
  • विकासशील देशों का व्यापारिक विकास करना।

संरचना

WTO के प्रमुख अंग हैं:

  • मंत्री सम्मेलन (Ministerial Conference)
  • सामान्य परिषद (General Council)
  • विवाद समाधान निकाय (Dispute Settlement Body)
  • व्यापार नीति समीक्षा निकाय (Trade Policy Review Body)

कार्यप्रणाली

WTO सदस्य देशों की आपसी सहमति से व्यापार नियम बनाता है। यदि किसी सदस्य को लगता है कि कोई दूसरा सदस्य WTO के नियमों का उल्लंघन कर रहा है, तो वह विवाद समाधान प्रक्रिया के तहत शिकायत दर्ज कर सकता है। WTO विज्ञान-आधारित नीतियों, तकनीकी मानकों और सार्वजनिक स्वास्थ्य-सुरक्षा उपायों को भी नियंत्रित करता है।

भारत और WTO

भारत WTO का संस्थापक सदस्य है। भारत ने WTO मंच पर कृषि सब्सिडी, सार्वजनिक भंडारण, तकनीकी मानकों व बाजार पहुंच जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाई है। हालिया वर्षों में भारत ने अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य देशों के साथ कई व्यापार विवादों में अपनी स्थिति मजबूत की है।

आलोचनाएँ

  • WTO की नीतियाँ अक्सर विकासशील देशों के हितों के अनुकूल नहीं मानी जातीं।
  • अमीर देशों द्वारा.tariffs एवं सब्सिडी के प्रावधान का दुरुपयोग।
  • तकनीकी और स्वास्थ्य-आधारित व्यापार अवरोधों की समीक्षा की मांग।

निष्कर्ष

विश्व व्यापार संगठन वैश्विक व्यापार का महत्वपूर्व नियामक निकाय है। इसकी नीति और विवाद समाधान प्रक्रिया वैश्विक व्यापार व्यवस्था को न्यायसंगत और मजबूत बनाने हेतु महत्वपूर्ण है।

Language: Hindi
Keywords: WTO, विश्व व्यापार संगठन, अंतरराष्ट्रीय व्यापार, भारत, व्यापार विवाद, दूध प्रमाणपत्र, टैरिफ, ग्लोबल ट्रेड
Writing style: Formal, Encyclopedia
Category: अर्थशास्त्र / अंतरराष्ट्रीय व्यापार
Why read this article: यह लेख विश्व व्यापार संगठन (WTO) की संरचना, कार्यप्रणाली एवं भारत जैसे विकासशील देशों के लिए इसकी प्रासंगिकता की गहरी समझ देता है, जो ट्रेड विवादों या अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति अध्ययन के लिए आवश्यक है।
Target audience: छात्र, शोधकर्ता, नीति-निर्माता, अर्थशास्त्र के अध्यापक और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रुचि रखने वाले पाठक

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